Manu Smriti
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एवं चरन्सदा युक्तो राजधर्मेषु पार्थिवः ।हितेषु चैव लोकस्य सर्वान्भृत्यान्नियोजयेत् ।।9/324

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इस विध राजा नित्य राज कर्मों को करता हुआ लोक के हितार्थ सब कर्मचारियों को नियत करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
राजा पूर्वोक्त प्रकार से आचरण करता हुआ सदा राजधर्मों में स्वयं संलग्न रहकर सभी राजकर्मचारियों को भी प्रजाओं के हित-सम्पादन में लगाये ।
 
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