Manu Smriti
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परिपूर्णं यथा चन्द्रं दृष्ट्वा हृष्यन्ति मानवाः ।तथा प्रकृतयो यस्मिन्स चान्द्रव्रतिको नृपः ।।9/309

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस प्रकार चन्द्रमा के दर्शन मात्र से मनुष्यों को हर्ष व आनन्द होता है उसी प्रकार सब जीव राजा के दर्शन से प्रसन्न रहें इस प्रकार राजा रहा करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(यथा) जिस प्रकार पूर्ण चन्द्रमा को देखकर मनुष्य प्रसन्न होते है (तथा) उसी प्रकार जिस राजा को पाकर-देखकर प्रजाएं हर्षित अनुभव करें वह राजा ’चन्द्रवत’ वाला है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जैसे पूर्ण चन्द्र को देखकर सब मनुष्य प्रसन्न हो जाते हैं, वैसे ही राजा को देखकर सब प्रसन्न हो जायँ। ऐसी उसकी प्रकृति होनी चाहिये। ऐसा ही राजा चान्द्र-व्रतवाला है।
 
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