Manu Smriti
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प्रविश्य सर्वभूतानि यथा चरति मारुतः ।तथा चारैः प्रवेष्टव्यं व्रतं एतद्धि मारुतम् ।।9/306

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस प्रकार वायु सारे प्राणियों में प्रवेश करके परिभ्रमण करती है उसी प्रकार राजा वायु का कार्य करता हुआ गुप्तचरों चारण आदि के द्वारा सारे राज्य में प्रविष्ट होकर परिभ्रमण करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जैसे वायु सब प्राणियों में प्रविष्ट होकर विचरण करता है (तथा) उसी प्रकार राजा को गुप्तचरों द्वारा सर्वत्र प्रवेश करना चाहिए यही राजा का ’मारुतव्रत’ है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जैसे वायु सब प्राणियों में प्रविष्ट रहकर चलता है, उसी प्रकार राजा गुप्तचरों द्वारा सब में प्रवेश करे। यही राजा का मारुतव्रत है।
 
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