Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस भाँति सूर्य अपनी किरणों द्वारा आठ मास पर्यन्त जल को भूमि से सींचते हैं उसी प्रकार राजा सूर्य का कार्य करता हुआ राज्य से कर ग्रहण करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जैसे सूर्य अपनी किरणों से आठ मास तक जलग्रहण करता है उसी प्रकार राजा राष्ट्र से कर ग्रहण करे यही राजा का अर्कव्रत है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
आठ मास जैसे सूर्य अपनी किरणों से जल लेता है, इसी प्रकार राजा कर वसूल करे। यही राजा का नित्य-कर्म है।