Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस प्रकार चार मास वर्षा ऋतु (बरसात) में राजा इन्द्र जल वर्षा करते हैं उसी प्रकार राजा इन्द्र का कार्य करता हुआ प्रजा की हार्दिक इच्छा पूर्ण करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जैसे इन्द्र (वृष्टिकारक शक्ति) प्रत्येक वर्ष के श्रावण आदि चार मासों में (अभिप्रवर्षति) जल बरसाता है । उसी प्रकार इन्द्र के व्रत को आचरण में लाता हुआ राजा अपने राष्ट्र की कामनाओं को पूर्ण करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
वर्षा-ऋतु के चार मास में जैसे इन्द्र बरसाता है, वैसे ही राजा इन्द्र के समान आचरण करता हुआ अपने राज में शुभ वस्तुओं की वर्षा करे।