Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
उन प्रकृतियों के अपने-अपने कार्यों में वह-वह प्रकृति-अंग विशेष है जो कार्य जिस प्रकृति से सिद्ध होता है उसमें वही प्रकृति श्रेष्ठ मानी गई है । अर्थात् समयानुसार सभी प्रकृतियों को श्रेष्ठता है अतः किसी को कम महत्वपूर्ण समझकर त्याज्य न समझे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
उन उन कामों में वही अंग बड़ा है, जिस-जिससे जो काम सिद्ध होता है, उसी में उसकी श्रेष्ठता है।