Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राज्य के सात अंग हैं-1-राजा, 2-अमात्य (मन्त्री) 3-राजधानी, 4-राज्य, 5-कोष, 6-दण्ड, 7-राजा के सम्बन्धी वा सेना आदि यह सात राज्य की प्रकृति वा मुख्य अंग भी कहलाते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
1. स्वामी, 2. मन्त्री, 3. किला, 4. राष्ट्र, 5. कोश , 6. दण्ड और 7. मित्र ये सात राजप्रकृतियां है इनसे युक्त होने से राज्य ’सप्तांग’ = सात अगों वाला कहलाता है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(1) स्वामी-राजा, (2) अमात्य-मन्त्री, (3) पुर-राजधानी, (4) राष्ट्र-राज्य, (5) कोष-खजाना, (6) दण्डढा देने का विभाग, (7) सुहृत्-मित्र ये सात प्रकृतियाँ राज के सप्तांग कहलाते हैं।