Manu Smriti
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राज्ञः कोशापहर्तॄंश्च प्रतिकूलेषु च स्थितान् ।घातयेद्विविधैर्दण्डैररीणां चोपजापकान् ।।9/275

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राजकोष को हरने वाला, राजाज्ञा के प्रतिकूल कार्य करने वाला और राजा के शत्रु से मित्रता करने वाला हो उनको आर्थिक व शारीरिक दोनों प्रकार के प्राण दण्ड देना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
राजा के खजाने को चुराने वाले और राज्य के विरोधीकार्यो में संलग्न तथा शत्रुओं को भेद देने वाले, इन्हें राजा विविध प्रकार के दण्डों से दण्डित करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
राजा के कोष को चुरानेवालों, आज्ञा भंग करने वालों, शत्रुओं को भेद देने वालों को अनेक प्रकार के दण्ड देने चाहिये।
 
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