Manu Smriti
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ग्रामघाते हिताभङ्गे पथि मोषाभिदर्शने ।शक्तितो नाभिधावन्तो निर्वास्याः सपरिच्छदाः ।।9/274

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो पुरुष चोरों से गाँव नष्ट भ्रष्ट होने व कुल भंग करने व पथ में चोरों के दिखलाई देने पर सामथ्र्यवान् व बलशाली होने पर उनके पकड़ने के हेतु प्रयत्न न करने वाला हो।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
चौर आदि के द्वारा गांव को लूटने के मौके पर पुल टूटने में रास्ते में चोर आदि के दिखाई पड़ने पर यथाशक्ति दौड़कर रक्षा न करने वालों को गृहसामग्री सहित उस देश से निकाल देवे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
ऐसे लोगों को भी माल-सहित देश से निकाल देना चाहिये, जो गाँव के लूटने, पुल आदि के टूटने पर या चोरों की खोज में या स्त्री के ऊपर आक्रमण करने से बचाने के लिये राजा की सहायता नहीं करते।
 
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