Manu Smriti
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राष्ट्रेषु रक्षाधिकृतान्सामन्तांश्चैव चोदितान् ।अभ्याघातेषु मध्यस्थाञ् शिष्याच्चौरानिव द्रुतम् ।।9/272

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राज में रक्षा करने वाले सामन्त और गाँव के चारों ओर के निवासी यह दोनों प्रकार के मनुष्य आदि चोरों को चोरी करने का आदेश करें तो राजा उनको भी चोरों के समान दण्ड देवे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
राजा राज्य में रक्षा के लिए नियुक्त और सीमाओं पर नियुक्त राजपुरुषों को यदि चोरो आदि के मामले में मिला हुआ पाये तो उनको भी चोर के समान ही शीघ्रतापूर्वक दण्ड दे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
राज्य में जो रक्षा के काम में नियुक्त हैं या जो सामन्त हैं और जो चोरों के मध्यस्थ (बिचैलिये) हैं, उनको भी शीघ्र ही चोरों के समान दण्ड देना चाहिये।
 
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