Manu Smriti
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ये तत्र नोपसर्पेयुर्मूलप्रणिहिताश्च ये ।तान्प्रसह्य नृपो हन्यात्समित्रज्ञातिबान्धवान् ।।9/269

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो चोर पकड़े जाने के भय से खाने पीने के स्थानों पर जावे व चोरों व उक्त वेषधारी गुप्त चोरों के समीप न जावे तो राजा उनको उसी प्रकार से पहिचान कर बलात् उनको बुलाकर उनके जाति सम्बन्धी व बान्धवों सहित नष्ट कर दे यह न विचारे कि उनको दुःख होगा।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो चोरों के सहयोगी और चोर पकड़े जाने की शंका से वहां (सिपाहियों के पास या गुप्तचरों द्वारा निश्चित स्थान पर) न आवें तो राजा मित्र, रिश्तेदार और बान्धवों सहित उन चोरों को बलपूर्वक पकड़कर दण्डित करें ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो वहाँ न जावें या जो चातुर्य से बचते रहें, उनका राजा उनके साथियों सहित जबरदस्ती पकड़वाकर दण्ड दे।
 
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