Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ऐसे स्थानों पर सेना द्वारा राजा चोर आदि को पकड़े क्योंकि चोर आदि ऐसे स्थानों पर खाद्य पदार्थों तथा विषय भोग की तृप्ति साधनों की खोज में प्रायः रहा करते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
सभाओं के आयोजन स्थल, प्याऊ, मालपूआ आदि बेचने का स्थान (भोजनालय, हलवाइयों की दुकान आदि), वेश्याघर, मद्यस्थान, अनाज बेचने का स्थान (मण्डी आदि), चौराहे, प्रसिद्धवृक्ष जहां लोग इकट्ठे होकर बैठते हैं, सार्वजनिक स्थान, तमाशे के स्थान, पुराने बगीचे और जंगल, शिल्पियों के स्थान, सूने पड़े हुए घर, वन और उपवन, राजा ऐसे स्थानों मे चोरों को रोकने के लिए, एक स्थान पर रहने वाले और गश्त लगाने वाले सिपाहियों को और गुप्तचरों को विचरण कराये या नियुक्त करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
राजा को चाहिये कि ऐसे देशों में चर और अचर पहरे की चैकियाँ बनाकर दूतों को नियत करे जिससे डाकू लोगों का निवारण हो सके।