Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
1-श्रौत्र (कान), 2-त्वक् (खाल), 3-चक्षु (नेत्र, आँखें), 4-जिह्वा (जीभ), 5-नासिका (नाक), 6-हस्त (हाथ), 7-पाद (पाँव), 8-मूत्रेन्द्रिय, 9-मलेन्द्रिय, 10-वाक् (वाणी) यह दस हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(श्रोत्रं त्वक् चक्षुषी जिह्वा) कान, त्वचा, नेत्र, जीभ (च) और पांचवी नासिका (- नाक) (पायु - उपस्थं हस्त – पादम्) गुदा, उपस्थ (मूत्र का मार्ग) हाथ, पग (वाक्) वाणी (दशमी स्मृता) ये दश इन्द्रिय इस शरीर में हैं ।
(सं० वि० वेदारम्भ संस्कार)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
कान, त्वचा, नेत्र, जीभ और पांचवी नासिका; तथा गुदा, उपस्थ, हाथ, पग और दसवीं वाणी कही गयी है।