गुप्तचर ही है नेत्र जिसके अर्थात् गुप्तचरों के द्वारा सब काम देखने वाला राजा प्रकट और गुप्त रूप से दूसरों के द्रव्यों को चुराने वाले दोनों प्रकार के चोरों की जानकारी रखे ।
(चार-चक्षुः महीपतिः) गुप्तचर रूपी आँखें रखने वाला राजा दो प्रकार के चोरों को देखता रहे। एक वह जो प्रकाशरूप से प्रजा के धन को हरते हैं और दूसरे वह जो गुप्तरूप से।