Manu Smriti
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निर्भयं तु भवेद्यस्य राष्ट्रं बाहुबलाश्रितम् ।तस्य तद्वर्धते नित्यं सिच्यमान इव द्रुमः ।।9/255

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जिस राजा का बाहुबल पाकर प्रजा अभय रहती है उसका राजा नित्य उन्नति पाता है जैसे सींचा हुआ वृक्ष।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जिस राजा के बाहुबल=दण्डशक्ति के सहारे राष्ट्र अर्थात् प्रजाएं निर्भय रहती हैं उसका वह राज्य सींचे गये वृक्ष की भांति सदा बढ़ता रहता है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जिस राजा के बाहुबल के आश्रय से प्रजा निर्भय रहती है उसका राज्य सदा बढ़ा है। जैसे सींचा हुआ वृक्ष।
 
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