Manu Smriti
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सम्यङ्निविष्टदेशस्तु कृतदुर्गश्च शास्त्रतः ।कण्टकोद्धरणे नित्यं आतिष्ठेद्यत्नं उत्तमम् ।।9/252

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
देश में शास्त्रानुसार दुर्ग आदि बना कर और उसमें निवास करके देश को पीड़ित करने वाले मनुष्यों का नाश करें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
अच्छे सस्यादिसम्पन्न देश का आश्रय करके और वहां शास्त्रानुसार विधि से किला बनाकर राजा अपने राज्य के कंटकों = प्रजा या शासन को पीडित करने वाले लोगों को दूर करने में सदा अधिकाधिक यत्न करे ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
अच्छेपकार बसे हुए देश में शास्त्रानुसार किला बनाकर राजा अपराधियों के समूलोन्मूलन में सदा विशेष यत्न किया करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
अच्छे प्रकार बसे देश में शास्त्र के अनुसार किला बनाकर नित्य काँटों के दूर करने का यत्न किया करें।
 
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