Manu Smriti
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उदितोऽयं विस्तरशो मिथो विवादमानयोः ।अष्टादशसु मार्गेषु व्यवहारस्य निर्णयः ।।9/250

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
अब भृगुजी कहते हैं कि हे ऋषि लोगों ! अठारह प्रकार के विवादों में पारस्परिक व्यवहार करने वालों के विवाद के दण्ड व निर्णय बयान को वर्णित किया।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह परस्पर विवाद =झगड़ा करने वाले वादी-प्रतिवादियों के अठारह प्रकार के मुकद्दमों का निर्णय विस्तारपूर्वक कहा ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यह परस्पर में झगड़ने वालों के व्यवहार का निर्णय अठारह विभागों में विस्तार पूर्वक कहा गया।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यह मुकद्दमे वालों के विवाद को 18 प्रकार से निर्णय करने का विस्तार से विधान कहा।
 
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