Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
भृगुजी कहते हैं कि हे ऋषि लोगों ! क्षेत्र आदि पुत्रों के धन विभाग को आप लोगों ने कहा अब उसके अनन्तर द्यूत के विषय में वर्णन करते हैं।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यह दाय-विभाग और औरस से भिन्न दूसरे क्षेत्रजाति पुत्रों के करने का विधान, क्रमशः कहा गया। अब, द्यूत की व्यवस्था सुनिए।