Manu Smriti
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अयं उक्तो विभागो वः पुत्राणां च क्रियाविधिः ।क्रमशः क्षेत्रजादीनां द्यूतधर्मं निबोधत ।।9/220

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
भृगुजी कहते हैं कि हे ऋषि लोगों ! क्षेत्र आदि पुत्रों के धन विभाग को आप लोगों ने कहा अब उसके अनन्तर द्यूत के विषय में वर्णन करते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह तुमको दायभाग का विधान और ’क्षेत्रज’ आदि पुत्रों को धन का भाग देने की विध क्रमशः कही ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
यह दाय-विभाग और औरस से भिन्न दूसरे क्षेत्रजाति पुत्रों के करने का विधान, क्रमशः कहा गया। अब, द्यूत की व्यवस्था सुनिए।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
इतना तुम से क्षेत्रज आदि पुत्रों के विभाग के विषय में कहा गया। अब जुये के सम्बन्ध में सुनो।
 
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