Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
जो अलंकार पति की जीवितावस्था में स्त्री ने धारण (पहिरा) किया हो। यदि उत्तराधिकारी लोग उसको विभक्त करे तो वह सब धर्म के विरुद्ध करते हैं क्योंकि वह स्त्री धन है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(पत्यौ जीवति) पति के जीते हुए स्त्रियों ने जो आभूषण आदि धारण कर लिये है । (पति के मर जाने पर) माता-पिता के धन के अधिकारी पुत्र आदि (माता के जीवित रहते) उनको न बंटावे (भजमानाः ते पतन्ति) यदि वे उन्हें लेते है तो ’पतित’ कहलाते है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
पति के जीते हुए जो आभूषण पत्नी-माता-बहिन आदि ने पहिना हुआ हो, उसे दायाद लोग न बांटे। यदि वे उसे भी बांटते हैं, तो वे पतित होते हैं।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
पति के जीते हुये स्त्रियों ने जो अलंकार बनवाये हों, उनको उसके वारिस लोग न लें। यदि लें, तो पतित होवें।