Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
1-ब्राह्मण, 2-दैव, 3-आर्ष, 4-गान्धर्व, 5-प्रजापत्य इन पाँच प्रकार के विवाह में जो धन स्त्री को मिला हो तो उस स्त्री के निःसंतान मृत्यु हो जाने के पश्चात् उसका पति पाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(ब्रह्म-दैव-आर्ष-गान्धर्व-प्राजापत्येषु यत् वसु) ब्राह्म, देव, आर्ष, गान्धर्व, प्राजापत्य विवाहों में जो स्त्री को धन प्राप्त हुआ है (अप्रजायाम्+अतीतायाम्) स्त्री के सन्तानहीन मर जाने पर (तत् भर्तुः + एवइष्यते) उस धन पर पति का ही अधिकार माना गया है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
ब्राह्म, दैव, आर्ष, गान्धर्व और प्रजापत्य विवाहों में स्त्री के निस्सन्तान मरने पर, स्त्री के धन का अधिकारी उसका पति माना गया है। और, आसुरादि शेष विवाहों में जो धन स्त्री को पितृकुल ने दिया हो, स्त्री के निस्सन्तान मरने पर, वह धन स्त्री के माता-पिता का माना गया है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
ब्राह्म, दैव, आर्ष, गांधर्व, प्राजापत्य-इन विवाहों की स्त्री मर जाय और सन्तान न छोड़ जाय, तो वह धन पतिका हो।