Manu Smriti
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जनन्यां संस्थितायां तु समं सर्वे सहोदराः ।भजेरन्मातृकं रिक्थं भगिन्यश्च सनाभयः ।।9/192

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
माता की मृत्यु के उपरान्त सब सहोदर (सगे) भाई और कुमारी भगिनि समान भाग करके माता का धन विभक्त कर लेवें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(जनन्यां संस्थितायां तु) माता के मर जाने पर (सर्वे सहोदराः च सनाभयः भगिन्यः) सब सगे भाई और सब सगी बहनें (मातृकं रिक्थं समं भजेरन्) माता के धन को बराबर-बराबर बांट लें ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु, माता के मरने पर उसके धन को सब सगे भाई और बहिन परस्पर में बराबर-बराबर बांटें। और, जो धन बहिनों की कन्यायें हों, उन्हें भी यथायोग्य प्रीतिपूर्वक नानी के धन में से कुछ अंश देना चाहिए।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यदि माता मर जाय और जायदाद छोड़ जाय तो सब सहोदर भाई बहिन उस को बराबर बांट लें।
 
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