Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
माता की मृत्यु के उपरान्त सब सहोदर (सगे) भाई और कुमारी भगिनि समान भाग करके माता का धन विभक्त कर लेवें।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(जनन्यां संस्थितायां तु) माता के मर जाने पर (सर्वे सहोदराः च सनाभयः भगिन्यः) सब सगे भाई और सब सगी बहनें (मातृकं रिक्थं समं भजेरन्) माता के धन को बराबर-बराबर बांट लें ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु, माता के मरने पर उसके धन को सब सगे भाई और बहिन परस्पर में बराबर-बराबर बांटें। और, जो धन बहिनों की कन्यायें हों, उन्हें भी यथायोग्य प्रीतिपूर्वक नानी के धन में से कुछ अंश देना चाहिए।