Manu Smriti
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उपपन्नो गुणैः सर्वैः पुत्रो यस्य तु दत्त्रिमः ।स हरेतैव तद्रिक्थं संप्राप्तोऽप्यन्यगोत्रतः ।।9/141

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
दूसरे गोत्र से भी पुत्र आया हो और सर्वगुण सम्पन्न हो तो जिसका वह दत्तक हुआ है उसकी सारी सम्पत्ति धन को पाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(यस्य तु दत्रिमः पुत्रः) जिसका दत्तक = गोद लिया हुआ पुत्र (सर्वैः गुणैः उपपन्नः) सभी श्रेष्ठ या वर्णोचित पुत्रगुणों से सम्पन्न हो, (अन्यगोत्रतः सम्पाप्तः + अपि) चाहे वह दूसरे वंश का ही क्यों न हो (सः तत् रिक्थं हरेत एव) वह उस गोद लेने वाले पिता के धन को निश्चित रूप से प्राप्त करता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
परन्तु, यदि किसी ने कोई पुत्र गोद लिया हो, और उसका वह दत्तक पुत्र सब गुणों से सम्पन्न हो, तो वह दूसरे गोत्र से भी आया हुआ पुत्र, पिता के धन का पूर्णतया अधिकारी होता है।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
यदि किसी ने कोई गुणी पुरुष अपना दत्रिम पुत्र (गोद का बेटा) बना लिया हो तो वहीं उसकी जायदाद का मालिक हो, चाहे वह अन्य ही वंश का क्यों न हो।
 
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