Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पुत्रहीन पुरुष के पुत्रिका करने पश्चात् अर्थात् पुत्री को पुत्र का स्थानापन्न मान लेने के अनन्तर यदि पुत्र उत्पन्न हुआ हो तो उस स्थान पर उस पुत्री के साथ पुत्र का समान भाग होता है, क्योंकि स्त्रियों को ज्येष्ठता नहीं है। इससे ज्येष्ठास न पावेगी।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(पुत्रिकायां कृतायां तु) ’पुत्रिका’ कर लेने के बाद (यदि पुत्रः + अनुजायते) यदि किसी को पुत्र उत्पन्न हो जाये तो (तत्र समः विभागः स्यात्) उस स्थिति में उन दोनों को (धेवता और निजपुत्र को) धन का समान भाग मिलेगा (हि) क्योंकि (स्त्रियां ज्येष्ठता न + अस्ति) स्त्री को ज्येष्ठत्व = ’उद्धार’ भाग नहीं प्राप्त होता अतः धेवते को भी वह ’उद्धार’ भाग नही प्राप्त होगा ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
पुत्रिका कर लेने के बाद यदि फिर पुत्र उत्पन्न हो जावें, तो उस अवस्था में पुत्रिका और पुत्र के समान समान धन बांटना चाहिए, पुत्रिका को सब से बड़ा पुत्र होने के कारण पूर्ववत् बड़े का भाग न देना चाहिए।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
पुत्रिका करने पर यदि पुत्र उत्पन्न हो जाय तो दोनों के भाग बराबर हो जायँ। स्त्री की ज्येष्ठता नहीं है। अर्थात! बहन को ज्येष्ठ होने के कारण उद्धार न मिले।