Manu Smriti
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अजाविकं सैकशफं न जातु विषमं भजेत् ।अजाविकं तु विषमं ज्येष्ठस्यैव विधीयते ।।9/119

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
बकरी, भेड़ व खुर वाले (अर्थात् घोड़ा आदि) यह सब विषम हों (अर्थात् चार भाई पाँच घोड़े हों) तो विषम का भाग न करना चाहिये-जो शेष है वह बड़ा लेवे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(अजा+अविकम् स+एकशकं विषमम्) बकरी, भेड़, घोड़ी आदि के विषम होने पर (न जातु भजेत्) उन्हें (बेचकर धनराशि के रूप में) विभाजित न करें (विषमम् अजाविकं तु) विषम रूप में बकरी-भेड़ आदि पशु (ज्येष्ठस्य+एव विधीयते) बड़े भाई को ही प्राप्त होते हैं ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
ब्करी भेड़ जो एक खुर वाले जानवर हैं वह यदि बाँट में पूरे पूरे न पड़ते हों तो जो विषम हों उसे न बाँटें। इसको बड़े भाई को लेना चाहिये।
 
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