Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(प्रजनार्थ स्त्रियः सृष्टाः) गर्भधारण करके सन्तानों की उत्पत्ति करने के लिए स्त्रियों की रचना हुई है (च) और (सन्तानार्थ मानवाः) सन्तानार्थ गर्भाधान करने के लिए पुरुषों की रचना हुई है (दोनों एक दूसरे के पूरक होने के कारण) (तस्मात्) इसलिए (श्रुतौ) वेदों मे (साधारणः धर्मः) साधारण से साधारण धर्मकार्य का अनुष्ठान भी (पत्न्या सह+उदितः) पत्नी के साथ करने का विधान किया है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जनने के लिये स्त्रियाँ बनाई गईं, और सन्तान के लिये पुरुष। इसलिये वेद में स्त्री पुरुष दोनों का समान धर्म कहा। अर्थात् स्त्री और पुरुष का पद बराबर है। ”असमानता“ नहीं होनी चाहिये।