Manu Smriti
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अदीयमाना भर्तारं अधिगच्छेद्यदि स्वयम् ।नैनः किं चिदवाप्नोति न च यं साधिगच्छति ।।9/91

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पिता आदि विवाह न करते हों और कन्या स्वयं वर को ग्रहण करे तो उस कन्या व वर को दोष नहीं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(अदीयमाना) पिता आदि अभिभावक के द्वारा विवाह न करने पर (यदि स्वयं भतरिम् + अधिगच्छेत्) जो कन्या यदि स्वयं पति का वरण कर ले तो (किंचिते एनः न अवाप्तोति) वह कन्या किसी पाप की भागी नही होती (च) और (न सा यम् अधिगच्छति) न उसे कोई पाप होता है जिस पति को यह वरण करती है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(अदीयमाना यदि स्वयं भर्तारम् अधिगच्छेत्) यदि माँ बाप विवाह न करे और लड़की स्वयं विवाह कर लेवे तो (न किंचित् एनः अवाप्नोति) तो वह कोई पाप नहीं करता। (न च यम् सा अधिगच्छति) न वह कोई पाप करता है जिससे यह विवाह करती है।
 
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