Manu Smriti
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त्रीणि वर्षाण्युदीक्षेत कुमार्यृतुमती सती ।ऊर्ध्वं तु कालादेतस्माद्विन्देत सदृशं पतिम् ।।9/90

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
रजस्वला कन्या तीन वर्ष पर्यंत उत्तम घर की प्रतीक्षा में रहे तत्पश्चात् अपने ही सदृश पति को प्राप्त हो।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. (कुमारी + ऋतुमती सती) कन्या रजस्वला हुए पीछे (त्रीणि वर्षाणि + उदीक्षेत + एतस्मात् कालात् + ऊर्ध्वम्) तीन वर्ष पर्यन्त पति की खोज करके (सदृशं पतिं विन्देत) अपने तुल्य पति को प्राप्त होवे । (स. प्र. 4 समु.)
टिप्पणी :
"जब कन्या विवाह करने की इच्छा करे तब रजस्वला होने के दिन से तीन वर्ष छोड़के चौथे वर्ष में विवाह करे । " (सं. वि. विवाह संस्कार)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
विवाह करने की इच्छा होने पर कन्या रजस्वला होने के दिन से तीन वर्ष तक पतीक्षा करे, तत्पश्चात्, इस तीन वर्ष के काल के बाद, स्वसद्श पति से विवाह करे।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(कुमारी) क्कारी लड़की (ऋतुमती सती) रजस्वला होने के बाद (त्रीणि वर्षाणि) तीन वर्षों तक (उदीक्षेत) तो अवश्य ठहरे। (ऊध्र्वम्तु अस्मात् कालात्) इस काल के बीतने पर (विन्देत सदृशम् पतिम्) अपने योग्य वर को ब्याह सकती हैं।
 
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