Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
भृगुजी कहते हैं कि आप लोगों से बीज व क्षेत्र (खेत) की श्रेष्ठता व अधमता को कहा अब तदुपरान्त स्त्रियों का आपद् धर्म कहते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
एतत्) यह (9/31-55) (बीजयोन्योः सारफल्गुत्वम्) बीज और योनि की प्रधानता और अप्रधानता (वः प्रकीर्तितम्) तुमसे मैंने कही ।
(अतः परम्) इसके बाद अब मैं (आपदि योषितां धर्मम्) आपत्काल में (सन्तानाभाव में) स्त्रियों के धर्म का प्रवक्ष्यामि कहूँगा—
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
बीज और योनि की प्रधानता के विषय में इतना कहा, आगे (योषिताम् आपदि धर्मम्) स्त्रियों का आपतकाल का धर्म कहूँगा।