Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पिता का पुत्र है ऐसा सब जानते हैं और पिता के विषय में दो प्रकार के गुण हैं। कोई कहता है कि वीर्यवान् का पुत्र है तथा कोई कहता है कि लक्ष्मी (क्षेत्र) का पुत्र है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
’स्त्री के पति का ही पुत्र होता है’ ऐसा माना जाता है किन्तु पति के विषय में दो विचार है—कुछ लोग पुत्र उत्पन्न करने वाले को ही पुत्र का हकदार कहते हैं दूसरे कुछ लोग क्षेत्र अर्थात् स्त्री के स्वामी को पुत्र का हकदार मानते है (चाहे उत्पादक कोई भी हो) ।