Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
स्त्री पुरुषों के प्राचीन सदाचार को कहा। अब इस लोक में तथा परलोक में व भविष्यत् में सुखार्थ जो प्रजा का धर्म है उसको कहते हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह स्त्री-पुरुषों के लिये सदा शुभ लोकव्यवहार कहा, अब परजन्म और इस जन्म में सुखदायक सन्तानोत्पत्ति सम्बन्धी धर्मों को सुनो –
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(एषा) यह (स्त्री पुंसयोः) स्त्री पुरुषों का (नित्यम्) नित्य (शुभा लोक यात्रा उदिता) शुभ लोक चलन कहा गया। अब (प्रेत्यं इह च) परलोक और इस लोक के (सुखोदर्कान् प्रजा धर्मान् निबोधत) सुख देने वाले सन्तान-सम्बन्धी धर्मों को सुनो।