Manu Smriti
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अरक्षिता गृहे रुद्धाः पुरुषैराप्तकारिभिः ।आत्मानं आत्मना यास्तु रक्षेयुस्ताः सुरक्षिताः ।।9/12

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
आज्ञा-पूर्वक यथार्थ काय्र्य करने वाले, सेवक पुरुषों से गृह में रोकी हुई स्त्रियाँ अरक्षित हैं, किन्तु जो अपनी रक्षा स्वयं करती हैं वे ही सुरक्षित हैं।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
क्योंकि प्राप्तकर्त्ता पति आदि पुरुषों द्वारा घर में रोक कर रखी हुई स्त्रियां भी असुरक्षित हैं = बुराइयों से बच नही पातीं जो अपनी रक्षा स्वयं करती हैं वस्तुतः वही (बुराई से) सुरक्षित रहती हैं ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
चतुर पुरुषों से घर में बन्द की हुई स्त्रियां भी सुरक्षित नहीं हैं। परन्तु जो स्त्रियां अपने आप अपनी रक्षा करती हैं वे सुरक्षित हैं।
 
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