Manu Smriti
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यादृशं भजते हि स्त्री सुतं सूते तथाविधम् ।तस्मात्प्रजाविशुद्ध्यर्थं स्त्रियं रक्षेत्प्रयत्नतः ।।9/9

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
स्त्री जैसे गुण वाले पुरुष से सम्बन्ध रखती है उसी प्रकार की सन्तान उत्पन्न होती है। अतः उत्तम सन्तान उत्पन्न करने के हेतु स्त्री की रक्षा करनी चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
स्त्री जैसे पति का सेवन करती है उसी प्रकार की सन्तान को उत्पन्न करती है इसलिए सन्तान की शुद्धि के लिए प्रयत्नपूर्वक स्त्री की रक्षा करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(यादृशम् भजते स्त्री) स्त्री जैसे पुरुष का सेवन करेगी। (तथा विधम् सुतम् सूते) वैसे ही सुत को जनेगी। (तस्मात्) इस लिये (प्रजाविशुद्धयर्थम्) सन्तान की शुद्धि के लिये (स्त्रियम् प्रयत्नतः रक्षेत्) स्त्री की प्रयत्न करके रक्षा करनी चाहिये।
 
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