Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
उचित रीति से स्त्री की रक्षा करने से अपने कुल, सन्तान, आत्मा व धर्म की रक्षा होती है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
प्रयत्नपूर्वक अपनी स्त्री की रक्षा करता हुआ व्यक्ति ही अपनी सन्तान आचरण कुल और आत्मा तथा अपना धर्म, इनकी रक्षा करता है ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(प्रयत्नेन जायां रक्षन्) जो प्रयत्न से अपनी स्त्री की रक्षा करता है वह अपनी सन्तान, अपने चरित्र, अपने कुल, स्वयं अपनी तथा अपने धर्म की रक्षा करता है।