Manu Smriti
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एष नौयायिनां उक्तो व्यवहारस्य निर्णयः ।दाशापराधतस्तोये दैविके नास्ति निग्रहः ।।8/409

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
दैवी विपत्ति (अर्थात् आँधी तूफान आदि) के आने से व चट्टानों, मगरमच्छ आदि से टकरा कर नाव भ्रष्ट (टूट) हो जाने से जो हानि होती है उसके देनदार मल्लाह नहीं हैं, क्योंकि उनका कोई अपराध नहीं है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
यह (८।४०४-४०८) नाविकों के व्यवहार का निर्णय कहा है मल्लाहों के अपराध से जल में नष्ट हुए सामान के मल्लाह देनदार हैं दैवी विपत्ति के कारण (आंधी, तूफान आदि से) हुई हानि के मल्लाह देनदार नहीं हैं ।
 
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