Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
यदि मल्लाहों के आलस्य से कोई वस्तु नष्ट हो जावे तो उस पदार्थ का मूल्य सब मल्लाहों को मिलकर देना चाहिये, क्योंकि प्रत्येक मल्लाह नाव के अन्तर्गत पदार्थों का धर्मतः रक्षक है तथा उत्तरदाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. मल्लाहों की गलती से नाव में जो कुछ यात्रियों को हानि हो जाये उसे मल्लाहों ने मिलकर अपने - अपने हिस्से में से पूरा करना चाहिए ।