Manu Smriti
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आगमं निर्गमं स्थानं तथा वृद्धिक्षयावुभौ ।विचार्य सर्वपण्यानां कारयेत्क्रयविक्रयौ ।।8/401

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
प्रत्येक वस्तु के आय-व्यय तथा वृद्धि (बड़ी) लय (घटी) की दशा को देखकर बेचना व मोल लेना चाहिये, क्योंकि तनिक सी अज्ञानता से हानि हो जाती है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. वस्तुओं के आने, जाने, रखने का स्थान, लाभवृद्धि तथा हानि खरीद - बेचने की वस्तुओं से सम्बन्धित सभी बातों पर विचार करके राजा मूल्य निश्चित करके वस्तुओं का क्रय विक्रय कराये ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(आगमम्) आने वाली वस्तु (Import) (निर्गमम्) हाने वाली वस्तु- Export (स्थान) स्थान, (वृद्धि) लाभ, (क्षय) हानि इनका विचार करके (पण्यानां क्रयविक्रयौ कारयेत्) चीजों का भाव नियत करें।
 
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