Manu Smriti
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शुल्कस्थानेषु कुशलाः सर्वपण्यविचक्षणाः ।कुर्युरर्घं यथापण्यं ततो विंशं नृपो हरेत् ।।8/398

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
राज्यकर का ज्ञाता तथा प्रत्येक पदार्थ के बेचने में कुशल पुरुष जिस वस्तु का जो मूल्य निर्धारित करे उसमें जो लाभ हो उसका 20वाँ भाग राजा आयकर (इनकम टैक्स) लेवे।
टिप्पणी :
गवर्नमेण्ट (सरकार) बत्तीसवाँ भाग इनकम टैक्स लेती है और मनु जी ने बीसवाँ भाग कहा है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
शुल्क लेने के स्थानों के शुल्कव्यवहार में चतुर सब बेचने योग्य वस्तुओं के मूल्य निर्धारित करने में चतुर व्यक्ति बाजार के अनुसार जो मूल्य निश्चित करें उसके लाभ में से राजा बीसवां भाग कर रूप में प्राप्त करे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
(शुल्कस्थानेषु कुशलाः) जो लोग चुंगी आदि के वसूल करने में चतुर हों (सर्व पण्य विचक्षणाः) और लेने देने में दक्ष हों, (कुर्युः अर्ध यथा पण्यम्) वे अपने व्यापार से जो लाभ उठावें (ततः विंशम् नृपः हरेत्) उस का बीसवां भाग राजा ले।
 
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