Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
परस्त्री से एकान्त में जो मनुष्य बातें करता है और प्रथम ही से उसका दोष प्रकट है उस मनुष्य को पूर्व साहस दण्ड देना चाहिये।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो व्यक्ति पहले परस्त्री - गमनसम्बन्धी दोषों में अपराधी सिद्ध हो चुका है यदि वह एकान्त स्थान में पराई स्त्री के साथ बातचीत की योजना में लगा मिले तो उसको ‘पूर्वसाहस’ (८।१३८) का दण्ड देना चाहिए ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
परस्त्री के साथ एकान्त में बात करने वाले पुरुष को (दोषैः पूर्वम् आक्षारितः) यदि पहले भी वह इस दोष में बदनाम हो चुका हो तो ’पूर्व साहस‘ दण्ड देना चाहिये।