Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
आत्मा के परित्राणार्थ (कष्ट से बचने के हेतु) यज्ञ करने के हेतु सामग्री एकत्र करने, तथा स्त्रियों व ब्राह्मणों को कष्ट मुक्त के हेतु, किसी को मारने से पाप नहीं होता।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
या अपने प्राण बचाने का प्रश्न हो, या सम्पत्ति पर चोट हो, या स्त्री और ब्राह्मणों पर विपत्ति आवे। ऐसे समय में मार डालना पाप नहीं है।