Manu Smriti
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शस्त्रं द्विजातिभिर्ग्राह्यं धर्मो यत्रोपरुध्यते ।द्विजातीनां च वर्णानां विप्लवे कालकारिते ।।8/348
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
धर्म नाश हो जाने की दशा में विप्लव काल में ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, तीनों वर्ण अस्त्र शस्त्र धारण करें।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
सब द्विजातियों को शस्त्र ग्रहण कर लेना चाहिये यदि धर्म में बाधा पड़ती हो, द्विजातियों के मध्य में बलवा होता हो।
 
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