Manu Smriti
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वाग्दुष्टात्तस्कराच्चैव दण्डेनैव च हिंसतः ।साहसस्य नरः कर्ता विज्ञेयः पापकृत्तमः ।।8/345

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
वाग्दुष्ट (अपशब्द कहने वाला) व चोर व डण्डे से मारने वाला इन सबों से साहस (सन्सर्ग) करने वाला पापी है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
साहसिक पुरूष का लक्षण - जो दुष्ट वचन बोलने चोरी करने बिना अपराध से दण्ड देने वाले से भी साहस, बलात्कार काम करने वाला है वह अतीव पापी, दुष्ट है । (स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
जो राजा सर्वाधिपत्य राज-पद के पाए रखने की अभिलाषी हो और अविनाशी धर्म किंवा अक्षय यश के पाने की इच्छा करता हो, उसे चाहिये कि वह बलात्कार करने वाले दुष्ट मनुष्य को दण्ड देने में एक क्षण भी देरी न करे। क्योंकि दुष्ट वचन बोलने वाले चोर, तथा मार-पीट करने वाले से भी अत्यधिक पापी बलात्कार करने वाला मनुष्य है।
 
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