Manu Smriti
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अनेन विधिना राजा कुर्वाणः स्तेननिग्रहम् ।यशोऽस्मिन्प्राप्नुयाल्लोके प्रेत्य चानुत्तमं सुखम् ।।8/343

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
इस विधि चोरों को दण्ड देने वाला राजा इस लोक में यश वा परलोक में उत्तम सिद्धि को पाता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
राजा इस उपर्युक्त (८।३०२-३४२) विधि से चारों को नियन्त्रित एवं दण्डित करता हुआ इस जन्म में या लोक में यश को और परजन्म में अच्छे सुख को प्राप्त करता है ।
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
इस विधि से राजा चोरों का निग्रह करता हुआ इस लोक में यश को पाता है और परजन्म में परम सुख को भोगता है।
 
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