Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
. चोर जिस प्रकार जिस - जिस अंग से मनुष्यों में विरूद्ध चेष्टा करता है उस - उस अंग को सब मनुष्यों को शिक्षा के लिए राजा हरण अर्थात् छेदन कर दे ।
(स० प्र० षष्ठ समु०)
Commentary by : पण्डित चन्द्रमणि विद्यालंकार
चोर चोरी करता हुआ जिस प्रकार जिस जिस अङ्ग से कुचेष्टा करता है, राजा को चाहिये कि वह उसे और अन्य सब मनुष्यों को शिक्षा देने के लिये उसी प्रकार उसके उस उस अङ्ग को काट दे।