Manu Smriti
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पुष्पेषु हरिते धान्ये गुल्मवल्लीनगेषु च ।अन्येष्वपरिपूतेषु दण्डः स्यात्पञ्चकृष्णलः ।।8/330
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
फूले हुये खेत में स्थित हरित धान्य और गुल्म, लता, वृक्ष आदि के फल व एक मनुष्य के ले जाने योग्य धान्य इनमें से किसी एक वस्तु के चुराने में देश काल को देखकर पाँच कृष्णल अर्थात् एक माशा सोना चाँदी दण्ड देवें।
 
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