Manu Smriti
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सूत्रकार्पासकिण्वानां गोमयस्य गुडस्य च ।दध्नः क्षीरस्य तक्रस्य पानीयस्य तृणस्य च ।।8/326
यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
सूत, कपास (रुई) महुआ, गोबर, गुड़, दही, दूध, मट्ठा, जल, तृण (घास) आदि।
 
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