गोषु ब्राह्मणसंस्थासु छुरिकायाश्च भेदने ।पशूनां हरणे चैव सद्यः कार्योऽर्धपादिकः ।।8/325 यह श्लोक प्रक्षिप्त है अतः मूल मनुस्मृति का भाग नहीं है
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
ब्राह्मण की गऊ अपहरण कर लेने सवारी के हेतु बाँझ गऊ को छुरी छेदने तथा इसी प्रकार बकरा, भेड़ आदि पशुओं के चुराने में तुरन्त आधा पाँव काटने का दण्ड देना चाहिये।