Manu Smriti
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महापशूनां हरणे शस्त्राणां औषधस्य च ।कालं आसाद्य कार्यं च दण्डं राजा प्रकल्पयेत् ।।8/324

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
हाथी, घोड़ा, भैंस, गऊ आदि बड़े बड़े पशु व शस्त्र और घृत आदि औषधियाँ इनमें से किसी एक की चुराने में काल तथा कार्य को देखकर राजा तीनों दण्डों में से उचित दंड को नियत करे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
हाथी, घोड़े आदि बड़े पशुओं के शस्त्रास्त्रों के और औषधियों के चुराने पर समय और चोरी के कार्य की गम्भीरता को देखकर राजा चोर को दण्ड दे ।
 
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