Manu Smriti
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पञ्चाशतस्त्वभ्यधिके हस्तच्छेदनं इष्यते ।शेषे त्वेकादशगुणं मूल्याद्दण्डं प्रकल्पयेत् ।।8/322

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
पचास गंडे (पल) से अधिक और सौ गंडे (पल) से न्यून चुराने में हाथ काटना चाहिये। और यदि पचास पल से न्यून चुरावे तो वस्तु के मूल्य का ग्यारह गुना अधिक धन दंड देवे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
(उपर्युक्त ८।३२१ वस्तुओं के) पचास से अधिक सौ तक चुराने पर हाथ काटने का दण्ड देना चाहिए पचास से कम चुराने पर राजा मूल्य से ग्यारह गुना दण्ड करे और वह वस्तु वापिस दिलवाये ।
 
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