Manu Smriti
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धान्यं दशभ्यः कुम्भेभ्यो हरतोऽभ्यधिकं वधः ।शेषेऽप्येकादशगुणं दाप्यस्तस्य च तद्धनम् ।।8/320

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
दश कुम्भ से अधिक अन्न चुराने वाले को शारीरिक दण्ड देवें, परन्तु चोर व स्वामी के मानादि दशा को देख कर दण्ड को देना चाहिये। यदि इस संख्या के न्यून अन्न की चोरी करे तो चोरी किये अन्न का ग्यारह गुना दण्ड स्वरूप देवे और चोरी जाने वाली वस्तु को उसका स्वामी पावे।
टिप्पणी :
200 गंडे पेसों के तोल की द्रोण कहते हैं और 20 द्रोण का एक कुम्भ होता है।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
दश कुम्भ - बड़ा घड़ा से अधिक धान्य - अन्नादि चुराने पर चोर को शारीरिक दण्ड मिलना चाहिए दश कुम्भ तक धान्य चुराने पर ग्यारह गुना जुर्माना करना चाहिए और उस व्यक्ति का वह धन वापिस दिलवा दे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
दस कुंभों से अधिक अन्न चुराने वाले को शारीरिक दण्ड (वेत आदि) मिले और कम चुरावें उसे उसका 11 गुना।
 
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