Manu Smriti
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यस्तु रज्जुं घटं कूपाद्धरेद्भिन्द्याच्च यः प्रपाम् ।स दण्डं प्राप्नुयान्माषं तच्च तस्मिन्समाहरेत् ।।8/319

 
Commentary by : स्वामी दर्शनानंद जी
कूप पर से रस्सी व घड़ा चुराने वाला, देवशाला व धर्मशाला (प्याऊ) को तोड़ने वाला एक माशे सोने के दण्ड को प्राप्त हो। और वही घड़ा व रस्सी को उसी कुवाँ पर रख दे।
Commentary by : पण्डित राजवीर शास्त्री जी
जो व्यक्ति कूए से रस्सी या घड़ा चुराले और जो प्याऊ को तोड़े वह एक सोने का ‘माषा’ दण्ड का भागी होगा तथा वह सब सामान वहां लाकर दे ।
Commentary by : पण्डित गंगा प्रसाद उपाध्याय
जो कुएँ से रस्सी या घड़ा चुरावें और जो घड़े को तोड़े उस को ’माष‘ दण्ड मिले और इसके अतिरिक्त वह उस हानि का भी प्रतिकार करे।
 
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